सिर्फ एक भगवान है ‘परब्रह्म’ , एक ही मंत्र ओम नमो भगवते नित्यानंदाय, एक ही धर्म अजातवाद, सभी एक है!
ओम नमो भगवते नित्यानंदाय
गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र चैतन्य और प्राण से भरा होता है, सर्वत्र निर्गुण पराशिव शक्ति के बिना कुछ भी सृजन नहीं कर सकते । साधक सिद्ध बनने के जिस मंत्र का जप करता है उसमें गुरु शक्ति का होना महत्वपूर्ण है। जब साधक सिद्ध हो जाता है, जहाँ भी उसकी दृष्टि जाती है, वह वहाँ अपनी आत्मा के संयोग से उभरी हुई प्रकाश की किरणों को देखता है। इस प्रकार क्रियायोग दीक्षा प्राप्त करने वाला योगी आनंदोसहित आनंदोनमत्त हो जाता है। सिद्ध महायोग द्वारा शक्तिपात को प्राप्त करने वाले योगी को मंत्र और योगसाधना के माध्यम से भुक्ति ओर मुक्ति दोनो प्राप्त होती है। सिद्ध महायोग का महामंत्र ‘ओम नमो भगवते नित्यानंदाय’ धर्मरहस्य , अजातवाद तत्व है। बहुत से लोग नहीं जानते हैं कि यह महामन्त्र अवधूत भगवान नित्यानंद ने स्वयं अमृतवृष्टि की तरह दिया था। यह महामंत्र जो चिदाकाशरूपी पराशिव परब्रह्म से आया है, वह चैतन्य और प्राण से भरा हुआ है, माया से रहित , निर्गुण, निराकार ब्रह्म है । इसके द्वारा साधक मोक्ष रूपी फल को प्राप्त कर सकता है।
नवीमुंबई के सी बी डी भास्कर शेट्टी द्वारा निर्मित नित्यानंद मंदिर के उद्घाटन समारोह में मैं मुंबई के चंद्रशेखर शेट्टी से मिला, उन्होंने मुझे भगवान की उपस्थिति में उनके द्वारा देखी गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना के बारे में बताया। वे भजन गाते थे, वे गणेशपुरी के कार्यक्रमों में भजन गाते हुए भगवान नित्यानंद के प्रिय बन गए थे। उन्होंने कहा कि जब भगवान थे, उस दौरान स्वयं भगवान नित्यानंद के भक्तों के बीच समूहीकरण शुरू हो गया था और गणेशपुरी में इस वजह से कुछ संघर्ष भी हुए; पूज्य मुक्तानंद परमहंस के भक्त ‘ ओम नमः शिवाय ’का जाप करते थे और भगवान के अन्य शिष्य शालिग्राम स्वामी के भक्तों ने मांग की कि ‘श्री राम जय राम जय जय राम ‘ का जाप किया जाना चाहिये। दोनों समूहों के बीच विसंगतियां बढ़ते बढ़ते झगड़े के रूप में बढ़ गई। इसका सबसे दुखद हिस्सा यह है कि यह उपद्रव भगवान नित्यानंद की मौजूदगी में हुआ और दोनों में से कोई भी समूह समझौते के लिए तैयार नहीं था। चंद्रशेखर शेट्टी भागवत नित्यानंद के बगल में खड़े थे। इस घटना से बेहद दुखी होकर पूज्य शालिग्राम स्वामी ने गणेशपुरी छोड़ दिया। भगवान जोर से चिल्लाए “मेरा शालिग्राम कहाँ है? वह कहाँ है? आज से इस जगह पर शिव और राम के बीच कोई अंतर नहीं होगा, सभी केवल ‘ ओम नमो भगवते नित्यनंदाय ’मंत्र का जाप करेंगे। पूज्य शालिग्राम स्वामी और पूज्य मुक्तानंद स्वामी के बीच कोई टकराव नहीं था असल में यह उनके भक्तों के बीच था।
ओम नमो भगवते नित्यानंदाय महामन्त्र कल्पवृक्ष, कामधेनु की तरह प्रत्यक्ष फलप्रदा है, जो साधक इस दिव्य मंत्र का जाप करता है वह परमार्थ सिद्धि प्राप्त करता है , यह सर्वोत्तम ज्ञान स्वरूप परमेष्ठ मंत्र है। “ओम नमो भगवते नित्यानंद” एक ऐसा महामंत्र है जो सीधे परब्रह्म की दिव्यवाणी से आया है, किसी अन्य अवतार पुरुष ने अपना नाम जपने का निर्देश नहीं दिया । नित्यानंद नाम नहीं है, उनका नाम राम था, नित्यानंद नित्य आनंद की स्थिति है, इसलिए भगवान ने भी नित्यानंद का जप किया। यह शक्तिशाली मंत्र “ओम नमो भगवते नित्यानंदाय” पूरे विश्व और ब्रह्मांड को स्वरूप-रहित और नाम-रहित परब्रह्म द्वारा स्वयं दिया गया है। श्री चन्द्रशेखर शेट्टी, जिन्होंने मुझे इस अविश्वसनीय घटना को सुनाया,वह अगस्त, 2020 में उनके ठाणे स्थित निवास में भगवान का नाम जपते हुए भगवान में विलीन हो गये। चंद्रशेखर शेट्टी से बात करने की अत्यंत इच्छा और मेरे लेख में उनके पते और संपर्क नंबर का उल्लेख करने की अनुमति मांगने के लिये मैंने भास्कर शेट्टी नाम के भगवान नित्यानंद के एक भक्त को फोन किया, और उनसे मुझे शेट्टीजी की मृत्यु के बारे में मालूम पड़ा। समाधान होटल के भास्कर हेगड़े, रामू नायक, और भगवान नित्यानंद के अन्य भक्तों ने उसी दिन से उसी महामंत्र का जाप जारी रखा है, और प्रति शाम समाधि मंदिर में भगवान की मूर्ति के सामने वे महामंत्र का जाप करते हैं। इसी महामंत्र को तुलसी माता और ललिता मौली को भगवान नित्यानंद द्वारा प्रदान किया गया था, जो महामंत्र का जप करते हुए नित्यानंद में विलीन हो गईं। नित्यानंद ध्यान मंदिर बेविनकोप्पा के स्वामी विजयानंद ने नित्यानंद महामंत्र के सहस्र कोटि जप यज्ञ का दिव्य संकल्प किया है, आइए हम भी इस दिव्य मंत्र का जाप करें और जप यज्ञ में योगदान करते हुए इस मंत्र रूपी अमृत का आनंद लें। भगवद गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं ‘यदि आप मेरी उपासना करते हैं, तो आप मुझे प्राप्त करेंगे ’, इसी तरह यदि आप नित्यानंद का जाप करते हैं, तो आप नित्यानंद (अनंत आनंद) को प्राप्त करेंगे।
नमो नित्यानंदाय
लेखक-स्वामी विजयानंद
Hindi translation by Pratyush Tomar